कतर में चल रही है भारत के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश. अगस्त 2022 में भारत के 8 उच्च रैंक वाले एक्स-नेवी अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई गई जो उन्होंने पहले कभी नहीं की थी। भारत सरकार का कहना है कि यह एक सबसे बड़ी
साजिश है| वे मौत की सज़ा देने की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसके पीछे एक कहानी है जो खामोश है, द मिडगेट सबमरीन डील। कतरी कंपनी ने 2019 में इटालियन कंपनी के साथ एक डील साइन की थी, इस डील का नाम मिडगेट सबमरीन डील था। इन मामलों में कतर सरकार ने भारत के एक्स-नेवी ऑफिसर्स को मौत की सजा दी है। और आज 2023 में इटली ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि कतर और उनके बीच कभी ऐसी कोई डील हुई थी.
हालंकी जानने वाली ये बात है ये दोनो देश के बीच फस्कर हमारे जवान बली के बकरे कैसे बन गए। दरअसल हमने इसपर रिसर्च किया और पता चला कि ये बहुत बड़ा घोटाला है जो भारत के खिलाफ है। इसमे कतर के उपप्रधानमंत्री से लेकर इटली के हाई से हाई प्रोफाइल लोग सामिल हैं, और इस तरह ये लोग अपने आप को बचाने के लिए और अपनी पहचान छुपाने के लिए ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। जो 8 नेवी लोगो को कतर ऑफिसर्स ने पकड़ा पहली बात तो शुरू हो रही है भारत सरकार को भी इसके बारे में पता नहीं चला और सरकार ने ये भी पता नहीं किया कि इनकी गिरफ्तारी पर कोई आरोप भी नहीं है। तो क्या है इसके पीछे का राज??
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क्या ये कतर सरकार और एमएनसी कंपनी की साजिश के शिकार हैं? हां फिर यहीं 8 भारतीय अधिकारी इस गेम के खिलाड़ी हैं। दुनिया के हर देश में इसको देखते ही अलग-अलग खबरें सामने आ रही हैं कि 8 भारतीय नौसेना अधिकारी इजराइल के तरफ से जसुसी कर रहे हैं, वे इस तरह पकड़े गए, और कहीं मीडिया के हवाले से ये भी बात सामने आ रही है कि वो कतर में है पनडुब्बी सौदे की जांच कर रहे हैं, कतर सरकार ने उन्हें मौत की सजा दे दी है। पाकिस्तान के हवाले से भी खबरें सामने आईं कि वो ब्लॉग जस्सूसी कर रहे थे, उन्होंने इस तरह पाकिस्तान सुरक्षा बलों और कतर बलों को बताया, फिर वो गिरफ़्तार किए गए।
What is the reason behind this Death Penalty? -इस मृत्युदंड
के पीछे क्या कारण है?
इस कहानी की पहली शुरुआत होती है कतर माई वो भी 30 अगस्त 2022 की रात कतर माई रहने वाली 8 भारतीय नौसेना अधिकारियों को कतर खुफिया बलों ने गिरफ्तार कर लिया। ये जो 8 अधिकारी पकड़े गए हैं वो कतर स्थित कंपनी है जिसका नाम दाहरा ग्लोबल है वो 8 नौसेना अधिकारी यहां पर कर्मचारी हैं। और उनमें से एक अधिकारी पूर्णेन्दु तिवारी जी को प्रवासी भारतीय को पुरस्कार भी मिल चुका है। और बाकी 8 भारतीय नौसेना अधिकारी दाहरा ग्लोबल के शीर्ष कर्मचारी हैं। और वो भारतीय नौसेना अधिकारी कतर माई कतर नौसेना को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। और इसके बाद एक दिन कतर फोर्सेज इंटेलिजेंस ने उन्हें गिराफ्तार कर लिया और इसकी खबर 1 साल बाद जाकर भारत को पता चला। ये सब जो आरोप हैं जो कतर सरकार ने एक्स-इंडियन ऑफिसर्स पर लगाए हैं वो अभी तक पब्लिक वेरिफाई नहीं हुए हैं। और सभी जगह इन ऑफिसर्स को लेकर काफी ज्यादा कन्फ्यूजन भी है।
India's Ex-Navy forces are caught in the deal between
Qatar and Italy - कतर और इटली के बीच डील में भारत के एक्स-नेवी फ़ोर्स फंस गए हैं।
कतर और इटली के बीच हाई प्रोफाइल डील हुई थी, और इसी बीच हमारे जवान बली का बकरा बन गए। कतर की सुरक्षा कंसल्टेंसी एजेंसी है जिसका नाम दहरा ग्लोबल है, और यूएसएस कंपनी के सीईओ ओमानी नेशनल हैं जिनका नाम खामिस अल-अजमी और प्रबंध निदेशक कमांडर पूर्णेंदु तिवारी जी हैं, वे जो हमारे 8 फशे हुए अधिकारी हैं, उनमें से एक है और बाकी अधिकारी भी कंपनी है वे प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अब मैं बात करता हूं कतर की कंपनी डहरा ग्लोबल, अब जो डील साइन होती है ना गौर करना इस कंपनी का क्या रोल होता है...
अब आप इसके बाद पूरा घोटाला पकड़ लोगे। ऐसा हाई प्रोफाइल घोटाला भारत में भी हुआ, वे जिसमें नये भी मिले हैं। 1971 में मैं बात करूं तो एसएसपी पार्टी के नाम के एक नेता जिनका नाम राज नारायण जी, इंद्र गांधी जी पर आरोप लगाया गया था कि उन्हें लोकसभा चुनाव में धोखा देकर जीत हासिल की थी, और इसके कुछ ही साल बाद 1975 में देश के पीएम के ऊपर भी कार्रवाई हो गई और उनकी सरकार को शून्य घोषित कर दिया गया। और इसके बाद इंद्रा गांधी जी ने देश में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी थी। भारत के इतिहास में बहुत सारे ऐसे केस हुए हैं जिन्होनें भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया था। लेकिन ये आज कल थोड़े ही सीखाया जाता है, ये ना ही कोई टेक्स्ट बुक है और ना ही कहीं किसी ने लिखा। माई आप उस दिन की कहानी बताऊंगा जिस दिन कतर और इटली के बीच ये डील हुई, और आप बताना कि इसमें सही और गलत क्या है?
What is the
real truth of this deal, and who is involved in it? इस डील की असलियत सचाई क्या है, और इसमें कौन कौन शामिल है?
हुआ कुछ ऐसा कि 2019 में दो इटालियन कंपनी CABI CATTANEO और M23 को कतर नेवी के तरफ से दो बौनी सबमरीन बनाने के लिए 190 मिलियन यूरो का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। और इस अनुबंध को कतर के तरफ से दो कतर की कंपनी निष्पादित कर रही है। एक नाम था अल-शामल 3 जो इस डील में ब्रोकर थी और दूसरी ब्रेज़न होल्डिंग्स जो सरकारी स्वामित्व वाली है। ब्रेज़न होल्डिंग्स इस डील को सरकार के तरफ से फाइनल करने वाली थी, और डील में तीन लोग काफी ज्यादा महत्वपूर्ण थे, वे अल नैमी, टौफी और अल अत्तियाह थे। अल अत्तियाह जो कि कतर के उपप्रधानमंत्री तो हैं ही, साथ ही ये रक्षा मंत्री भी हैं और मुख्य दिलचस्प बात यह है कि ये अल अत्तियाह रॉयल फैमिली से भी संबंधित हैं।
अब आपने नोटिस किया होगा कि इस डील में तो कहीं पर दाहरा ग्लोबल का नाम भी नहीं है
और ना ही कहीं जिक्र किया जा रहा है और यही तो है सबसे खराब कारण। हमारे सैनिकों को
बिना मतलब और बिना किसी सबुत के फ़साया जा रहा है। इसमे इनको इस तरह से फंसाया जा रहा
है क्योंकि कतर के लोगो को बहुत बड़े घोटाले का अंजाम देना था, ये डील वास्तव में कतर
सरकार के लिए नहीं थी बल्कि बाल्की इन तिनो लोगो के व्यक्तिगत लाभ के लिए थी। तो बात
यह है कि ब्रेज़न होल्डिंग्स के शासी निकाय में अल नईमी मुख्य कार्यकारी हैं और टौफी
ब्रेज़न होल्डिंग्स के कानूनी प्रमुख हैं। अब यही अल नईमी ब्रोकर कंपनी अल-शामल 3 के
प्रमुख हैं। एएल नईमी ने इटालियन कंपनी एम23 में काफी ज्यादा निवेश करके रखा है। तो
इस सरकारी डील के होने से अल नईमी और टौफिक को ही लाभ होने वाला था, क्योंकि यहां खरीदार
भी वही और विक्रेता भी वही। सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि ब्रेज़ॉन होल्डिंग्स के चेयरमैन
एएल अत्तियाह जी हैं, और इतना कुछ स्पष्ट हुआ भी देख उन्हें कोई भी कार्रवाई नहीं किया।
और संडे गौरडियन्स अखबार के मुताबिक ये डील बहुत ही बड़ी है घोटाला है और ये हो सकता
है कि इस डील में बहुत बड़े नाम फंसने लगे हो इस तरह इटालियन कंपनी और कतर रॉयल फैमिली
डील में भारतीय नौसेना के अधिकारियों को इजरायली जासूस ने भागने की घोषणा की बकरी का
उपयोग किया गया है ताकि सारा का सारा तनाव जो कि डील में हो, भ्रष्टाचार से हटकर जासूसी
घटनाओं की तरफ चला जाए। क्या मृत्युदंड पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर बहुत से विशेषज्ञ
सवाल उठा रहे हैं।
कैनडा को क़तर की तरह कड़ी निंदा की गई है। दरअसल 2022 में भारतीय अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, फिर 2 महीने बाद हमारे देश के उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ फीफा विश्व कप के लिए दोहा टूर पर गए थ। और जब वो विजिट कर रहे थे, तब कोई भी भारतीय अधिकारी का जिक्र भी नहीं हुआ उस समय पर।
This deal has also been confirmed in the newspaper - अख़बार में इस डील को लेकर पुष्टि भी की है।
द हिंदू अखबार के हवाले से ये खबर सामने आई कि एनएसए अजेय डोभाल ने इस केस के लिए कई बार कतर भी विजिट किया था, पर इसका कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला था। यहां पर ये देखने को मिला कि भारत सरकार के रियल स्टांस में काफी ज्यादा कन्फ्यूजन भी है। आधिकारिक तौर पर भारत के विदेश मंत्री और काफी वरिष्ठ अधिकारियों ने मौत की सजा को लेकर काफी ज्यादा चिंता जरूर जताई है और आधिकारिक तौर पर उन्हें चोदना उनकी पहली प्राथमिकता बताई है। भूराजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक अभी तक कोई मजबूत कार्रवाई नहीं हो पाई है।
भूराजनीतिक विश्लेषकों के नरम रुख को लेकर 2 राय दी जा रही है। पहली बात यह है कि सभी अधिकारियों की क्षमता सरकार के कहने पर किसी मिशन पर तैनात है, वे और दशहरा में कतर उच्च रैंकिंग वाले भारतीय अधिकारियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद के विकल्पों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है या वह भी काफी वांछनीय वाला है। लेकिन कुछ ऐसी है कि भारतीय नौसेना अपनी समुद्री क्षमताओं में इतनी कुशल हो चुकी है कि आज देश भारत की ट्रेनिंग या सहायता लेती है। उसी में एक है क़तर. 2008 मुख्य भारत या कतर नाम ने रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किया था। जिसके तहत भारत ने कतर को संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण या धमकी मिलने पर अपने सैनिक वहां पर तैनात करने के लिए सहमति व्यक्त की थी। असल में ये समझौता आज तक जारी है और इसी समझौते के तहत वो अधिकारी वहां तैनात होंगे, जहां कतर सरकार ने पकड़ लिया होगा। और इसकी भी संभावना हो सकती है कि वो अधिकारी भारत के लिए इंटेल गैदरिंग कर रहे होंगे।
इस बात का कहना है मेजर जनरल सतबीर सिंह का जिन्होनें द प्रिंट न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को शायद इसी संधि के अंदर भेजा गया होगा और कहा जाएगा कि भारत सरकार कतर पर भी कड़ा रुख अपना सकती है। , पर इसी बात को नकारते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागेही जी ने द प्रिंट को दिए गए इंटरव्यू में बताया था कि वो अधिकारी किसी भी एमओयू के साथ कतर नहीं गए थे। सरकार के हिसाब से वो सारे नौसेना अधिकारी व्यक्तिगत क्षमता में ही वहां पर काम कर रहे थे। अब इस दावे पर मैंने रिसर्च किया तो पता चला कि इसमे एक अजीब सा पैटर्न नजर आया। बात कुछ ऐसी है कि भारतीय नौसेना के सभी उच्च पदस्थ अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी वीआरएस यानि (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेकर सीधे दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी और कंसल्टेंसी सर्विसेज से जुड़ सकते हैं। ये कैसे हो सकता है कि इतने उच्च रैंकिंग वाले नौसैनिक अधिकारी एक निजी कंपनी में बड़े पैमाने पर शामिल हों, वे और इस बात को लेकर भारत सरकार को खबर भी नहीं है। इस मामले में विशेषज्ञों को 2 संभावनाएं लग रही हैं कि वो सारे 8 भारतीय नौसेना अधिकारी भारत के लिए खुफिया जानकारी एकत्र करने का काम कर रहे थे और वे और दाहरा ग्लोबल कंपनी भारत की योजना का हिसा हो सकती है। या दूसरी संभावनाएँ ये हो सकती हैं कि वास्तव में कतर न्यूज़ का कहना है कि वो अधिकारी इज़राइल के लिए ही जासूसी कर रहे थे। अब इसमे से दोनों में से आपको कोई भी संभावना सही लगती है तो नीचे टिप्पणियाँ अपना उत्तर बताना होगा। इस पर अधिकतर लोगों की क्या राय है, निचे कमेंट
मे अपनी राय बताना ???
अगर यहाँ पर फर्स्ट पॉसिबिलिट्स रियलिटी हैं इंडिया गवर्नमेंट बैक चैनल से क़तर गवर्नमेंट को नेगोटिएशन कर रही हो और इंडियन अफसर को अपराध देने की कोसिस कर रही है| क्युकी जाहिर सी बात है सेंसिटिव इश्यूज को गवर्नमेंट ओपनली डिसकस
नहीं करना चाहेगी| पर जो भी हो आगे उन् ऑफिसर्स का क्या होगा ये है सबसे बड़ा सवाल।
सो इंडियन नेवी अफसर को डेथ पेनल्टी से बचने के लिए इंडियन गवर्नमेंट के पास बस केवल
दो ही ओप्शन्स है| को डेथ पेनल्टी से बचने के लिए इंडियन गवर्नमेंट के पास बस केवल
दो ही ओप्शन्स है| पहला की क़तर मे ही सुपीरियर
कोर्ट मई ही डेथ पेनल्टी के अगेंस्ट केस फाइल किया जाए| दरअशल क़तर मे भी हमारी तरह
ही सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जैसे ही कोर्ट ऑफ़ फर्स्ट इन्सटेंसेस,
कोर्ट ऑफ़ अपील्स, और कोर्ट ऑफ़ कैसशन होता है| और अगर यहाँ पर भी बात नहीं बनी तोह फिर
क़तर के आमिर यानि की क़तर के राजा से पार्डन किया जा सकता है| अगर आमिर डेथ पेनल्टी
को भी लाइव सेंटेंस मे भी कन्वर्ट कर देते है तो भी इन् इंडियन ऑफिसर्स को एटलीस्ट
25 years प्रिजन मे बिताना पडेगा| यानि की आगे कुवा और पीछे खाई जैसी सीटुएशन्स है
अभी| और दूसरा ओप्तिओंस है की क़तर के जजमेंट के अगेंस्ट इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस
मतलब ICJ मे अपील करना|
सेम ऐसा ही अपील जैसा हमने 2018
मे किया था, जब इंडियन नेवी के ही ऑफिसर्स कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने 2016 से पकड़ा
हुआ था| और उनपर भी जासूसी की वजह से डेथ पेनल्टी की सजा सुनाई गयी थी| लेकिन 2018
मे ICJ ने कुलभूषण जाधव के फांसी की सजा पर रोक लगा दी गयी, पर आज भी वो पाकिस्तान
की जेल मे बंद हे और कोई नहीं जानता की उनका फ्यूचर क्या होने वाला है| पाकिस्तान की
जेल मे बंद हम इंडियन अफसर की बात कर रहे है, लेकिन क़तर जैसे फ्रेंडली नेशन मे 8 नेवी
ऑफिसर्स का फ्यूचर क्या होगा इसे भी लेकर काफी बड़ी कन्फूशन्स है| कोई नहीं जनता की
उनका फ्यूचर कैसे होने वाला है|
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